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क्या आप दर्द से परेशान रहते है ???

आज के दौर में शायद ही कोई ऐसे घर होगा जहां दर्द के मरीज़ नही होंगे। पर आपने कभी सोचा है या जानने की कोशिश की है कि आखिर ये दर्द क्यों होता है? नही ना... तो ध्यान से पढ़े और जानने की कोशिश करे कि आप या आपके परिवार में किसी को भी दर्द है तो क्यों है? कौन कौन से कारण होते है दर्द के? क्या खाना चाहिए दर्द में? क्या नही खाना चाहिए?क्योकि अगर दर्द को बहुत दिन तक झेल लिए तो घुटने बदलवाने के नोबत आ सकते है, जिसका भारी खर्चा आपके दिल का दर्द बढ़ा देगा।

सबसे पहले ये जान ले आज के टाइम में खाद यूरिया और केमिकल के उपयोग के चलते दैनिक ज़िन्दगी में खाने पीने वाले भोजन में अब वो विटामिन्स प्रोटीन्स मिनरल्स कार्बोहाइड्रेट और कैल्सियम नही रहा जिससे हमें पहले वाली ऊर्जा मिलती थी। आज के युग में बाजार में मिलने वाली रिफाइन और नकली सरसों का तेल जो केवल खुबू देती तो है पर केमिकल से तैयार होती है जबकी ओरिजनल सरसों के तेल में कोई खुबू नही होती है। जबकि बॉडी में सबसे जादा चिकनाई यानी (लुब्रिकेसन्) के चलते ही हमारे जॉइंट चिकने रहते है और मोमेंट भी परफेक्ट होता है। दुसरा रिफाइन में केमिकल के चलते पाचन तंत्र बिगड़ता है और गैस्ट्रिक उत्पन्न करते जाता है जिसके चलते भूख में कमी आती है और साइन में जलन होता है क्योकि इसके तापमान 45 डिग्री होती है। जबकि हमारे बॉडी 35 डिग्री तक ही आसानी से पचा लेती है। नतीजा फ़ालतू कॉलेस्ट्रोल बनना जिसके चलते बॉडी धीरे धीरे में विष की उतपति होती है और यही खून में मिलकर हमारे जॉइंट के रिक्त स्थान में जमने लगता है। वहाँ पर चिकनाई को भी सुखा देता है जिसके चलते घुटने कंधे और हर जोड़ जोड़ में वात रोग उत्तपन होने लगता है। यही रोग आगे चलकर गठिया वात का रूप ले लेता है।
दुसरी बात अगर आपका संडास साफ़ नही आता हो तो वायु के दबाव से भी कमर और घुटने में दर्द आ जाएगा ये पक्काहै।  अतः पेट हमेशा साफ़ होनी चाहिए हर इंसान के - चाहे वे बच्चे,बूढ़े या जवान हो।
तीसरा जिस व्यक्ति का वजन उसके हाइट से जादा होगा उसका दर्द कोई ठीक नही कर सकता है और उसके घुटने जल्दी खराब हो जाते है, जल्दी घिसते है - ये 100 % सत्य है।
चौथा कारण होता है। जो सबसे मेंन कारण है घुटने दर्द के जिसे कार्टिलेज डेगजीनेसन्न कहते है। मतलब 40 या 45 साल के बाद जॉइंट में साइनोबेलियम फ्लूड की कमी आते जाना। मतलब चिकनाई का सुखना। जी हाँ! इसीलिए लिए डॉक्टर्स बोलते है ग्लुकोसामिन खाने के लिए। मगर इससे नैचरल चिकनाई कैसे आ सकती है?सिर्फ संतो  रहता है लोगो को की हम दवाई खा रहे है, जबकि कोई फायदा नही होता है।
सच कहे तो हमारे शरीर में केवल नैचरल चीज ही काम आती है,जिससे दर्द कम हो सकता है या जड़ से ही ठीक हो सकता है। आप ध्यान से पढ़कर इसका प्रयोग करे और अन्य लोगो को बताये तो लोग सुखी से रह सकते है और दर्द को कहेंगे बाय बाय - सिर्फ तरिका सही होना चाहिए।
सबसे पहले ऊपर दिए गए निर्देश को पढ़े फिर मंथन करे और हर साल ये चीजे नियमित खाये 2 महीने तक :
·         खड़ा अखरोट 4 पीस रोजाना सुबह खाली पेट चबाकर खाये और 2 घंटे तक कुछ भी ना खाये इससे घुटने में नसों में जान आएगी और खराब कैलेस्ट्रोल नष्ठ होगा और जोड़ो में चिकनाई भी उत्पन्न होगा।
·         सुखा नारियल के टुकड़े करके डिब्बे में रखे और दिन भर में हर घंटे थोडा थोडा लेकर खूब चबाये इसमें प्राकृतिक तेल होता है जिसके चलते पुरे बॉडी में चिकनाई आएगी और मोमेंट भी ठीक रहेगा और आपका चाल भी खुलेगा।

·         सफ़ेद मुसली जिसे सबसे जादा कैल्सियम की मात्रा होती है। इसका 1 चम्मच रात में गर्म दूध से सेवन करे। इससे हड्डियों में नई ताक़त आएगी और बॉडी में कैल्सियम भी तेज़ी से बढ़ेगा खासकर जॉइंट में नई ऊर्जा का संचार होता और हार्ट अटैक का ख़तरा भी कम होगा। शरीर भी मजबूत होगा।

·         सफ़ेद तिल इसे साफ़ करके हल्का गर्म करके डिब्बे में रख दे और 1 चमच सुबह दोपहर और रात को भोजन के बाद चबाकर खाये 60 दिनों तक। इससे जोड़ो के अंदर में रहने वाले मज़्ज़ा में मजबूती आती है और गर्माहट लाकर चिकनाई पैदा होगा।

·         ताज़े एलोवेरा के पत्ते की जैली 2 चमच रोज़ खाये 60 दिन तक। इससे शरीर के टॉक्सिन जहर खत्म होंगे और फ़ालतू एसिड निकल जायेगी। साथ ही आखों में भी जबरदस्त फायदा होगा ये भी नियमित करे।

·         सबसे अहम् बात किसी भी दर्द को हटाने लिए लिए बाहर से मालिश बेहद जरुरी होता है। पर दर्द का तेल आयुर्वेदिक होने के साथ साथ उसमे (POISON) होना बहुत जरुरी है तभी घुटने कमर मांसपेशियों का दर्द में फायदा होगा और जॉइंट के अंदर जो विष है। वो खत्म होगा वरना सब बेकार हो जाएगा।

आजकल आयुर्वेद के नाम पर या प्रचार के कारण सब कुछ बिकता है या भगवान् के नाम बिकते है। पुरे देश में जड़ी बूटी के असली तेल हमेशा काले रंग की ही होगी और उसकी खुसबू से ही समझ में आएगा की ये सचमुच में जड़ीबूटी का है। कोई भी तेल ख़रीदे तो हलके काले रंग देखे और उसका फार्मूला पढ़े और ये भी देखे की कोई कंपनी की है के नही। नही तो आपको नुक्सान उठाना पड सकता है।

लेखक
दीपक कुमार (प्राकृतिक चिकित्सक)
मधुबन, शिखर जी (झारखण्ड)
मोबाइल नं.: 09939656387, 7979744715

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